Monday, November 9, 2009

माटी की तकदीर।

जीवन में आया नहीं, गांधी की तकरीर

दिल में बस पाया नहीं, वीरों की तसवीर

दीवारों पर ही टंगा रहे, शहीदों की तसवीर

बदलेगी फिर कैसे, देश की तकदीर।

नयनों में पानी भरा है, लपटे नहीं हैंआग की

सर पे चढ़ा सलीब है, भय है कोई दाग की

करते हैं घृणा पापी से, खाते हैं रोटी पाप की

बदल नहीं सकता समय, फिर जीवन का पीर।

पीर बदले या ना बदले, समय बदलता जाता है

ये सच्चाई आदमी नहीं, इतिहास बतलाता है

दूसरों की क्या बात करें, आदमी स्वयं सताता है

हो व्यभिचार कब तलक, देखें कब आता है वीर।

करते रहें चुनाव, कीच-कौवों की बार-बार

बनती रहे सरकार, मुखौटा बदल बार-बार

स्थिरता करती है, आजादी को तार-तार

तोड़ो कपाट, आआ॓ समर में, बनो रक्तवीर।

कहने से स्वराज, देखें कौन रोक रहा है

किसमें इतना है दम, जो आगे आ रोक रहा है

सामने आआ॓, छिपकर तकदीर लिखने वाले

दौड़ रहा है सिंह गर्जन से, रोम-रोम बनकर तीर।

दीवारों से उठकर, मन मंदिर में वास करो

गांधी, सुभाष, गौतम, गुप्त, फिर से रास करो

जीवन में फिर मेरे, ए क नया संचार भरो

मस्त कलन्दर बन सिकन्दर, जीतेंगे हर गीर।

बहुत हो चुका, बहुत ढो चुका,

ढोंगियों की तकरीर सुनकर जोगियों की,

बहुत खो चुका स्वातं®य वीर

अब ना रूकेंगे, अब ना झुकेंगे,

आजमाए ंगे हर तीर

देखें फिर रोकेगा कौन, बदलने से तकदीर।

दिल में जब बस जाए गा,

शहीदों की तसवीर तकरीर बदलेगी,

जरूर बदलेगी, माटी की तकदीर।

-दीपक ‘राजा’

Wednesday, October 28, 2009

डर

खंज़र मेरे सीने में

जो घोंपे हैं तुमने,

उसे आज तक

निकाल नहीं पाया

डरता हूँ, दिल में बसे हो

खंजर निकालते वक़्त

तुम्हें कहीं

खरोंच न लग जाये।

Poet- Dipak Raja

Friday, August 7, 2009

एक मोहबत की तस्वीर


लड़ते लड़ते प्यार इसी को तो कहते है। है न... ।

लिखाड़ बनने की कोशिश में hun

इसे देखकर आप क्या कहेंगे, सावन में झूम रहा है अपनी प्रेयसी के साथ। मगर ये तभी रह पायेगा न जब जंगल रहेगा, जंगल रहे इसके लिए क्या अपने जन्मदिन पर एक पेड़ नही लगा सकते ताकि आने वाली पीढी तस्वीर में नही हकीकत में इसे देखे और फोटो सूट करे।

Tuesday, February 10, 2009

दर्द


दर्द
उमसभरी
घुटनशील
लाइजाज़
ज़ख्म का एहसास।

जो केवल
अनुभव की चीज
सालता है जीवनभर।

निजता लिए
दर्द एक इतिहास
अभिव्यक्त होकर भी
परिभाषित नहीं है।

Sunday, February 8, 2009

नए युग की शुरुआत

जीवन के हर सफर की शुरुआत कभी जीरो से करना ही पड़ता है, इसका ये मतलब बिल्कुल नही है कि हमेशा जीरो ही रहेंगे। मेहनत कर अपनी टीम एक नया मिसाल कायम करेगी इसमे कोई दो राय नही है, दो राय मेहनत करने में हो सकता है।

जामिया के नाम में उन चमकते सितारों में अपना भी नाम होगा जिसे दूर से ही लोग पहचान जायेंगे रजनीगंधा के फूल के सुगंध के माफिक....