खंज़र मेरे सीने में
जो घोंपे हैं तुमने,
उसे आज तक
निकाल नहीं पाया
डरता हूँ, दिल में बसे हो
खंजर निकालते वक़्त
तुम्हें कहीं
खरोंच न लग जाये।
Poet- Dipak Raja
दोस्त प्रेमिका के लिए इतना प्यार... बहुत खूबसूरत लिखा है आपने...
शेर पूरे हिंदी में होते तो असर दुगुना हो जाता ...शुभकामनायें ..!!
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दोस्त प्रेमिका के लिए इतना प्यार... बहुत खूबसूरत लिखा है आपने...
शेर पूरे हिंदी में होते तो असर दुगुना हो जाता ...
शुभकामनायें ..!!
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