Tuesday, October 7, 2008

जीवन म्रत्यु

हम युवाओं को
इतना समय कहाँ
जो सोचे
पथ से भटके हैं
या भटकाए गए हम।

जो भी हो
रोटी के टुकडे के लिए
जीवन-म्रत्यु के
झूले पर
लतगाये गए हम।

2 comments:

Udan Tashtari said...

अंत्तवोगता स्थिती का कहन!! :)

seema gupta said...

हम युवाओं को
इतना समय कहाँ
जो सोचे
पथ से भटके हैं
या भटकाए गए हम।
'what a real thought'

regards