Thursday, September 11, 2008

हिन्दी दिवस पर विशेष

अलग दिखने की चाहत
सदियों के मातहत
कब तलक विरासत
जीवन के साथ रखेंगे
कहना मुश्किल है
मगर
पता है दुनिया को
भारत
हम युवाओं का है।

बदलकर रख देंगे
कोशी के लहरों की तरह
ला देंगे तबाही
अंग्रेजियत व्यवस्था पर
फैला देंगे खादर
झांप देंगे बांगर
चाहे कितना भी
बना लो वीरपुर बैराज।

दो सो साल बाद ही सही
आयेंगे अपनी राह
नए रूप में
नयी सुबह के साथ
धूप-छॉव की आँख मिचौली
लोक लाज की अपनी बोली।

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