Tuesday, March 8, 2011

... गर औरत चाह ले


... गर औरत चाह ले


फरिश्ता बना ले इसकी हिम्मत, गर औरत चाह ले।
बन जाये कुछ भी वो, गर औरत चाह ले।।

इन्सान का रूतबा खुदा से मिला दे।
इतना उठा दे इन्सान को, गर औरत चाह ले।।

दुनिया कोई ताकत नहीं, जो इसको रोक ले।
नौकर बना ले इन्सान को, गर औरत चाह ले।।

घुट घुट कर जीने की आदत है जिन्हें।
खाक कर दे दुनिया को, गर औरत चाह ले।।

किसको पाने के लिए जीयेगी दुनिया 'राजा'।
छोड़ दे जीना औरत, गर औरत चाह ले।।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर
कविता महिलाओं को समर्पित

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