Saturday, August 30, 2008

मतभेद भुलाकर मदद के लिए हाथ बढायें...

सुबह मेरी नींद खुलते ही टॉयलेट जाना पडा, बाथरूम में गंदा पानी निकालने वाला नाली जाम हो गया था। इस कारण सही तरीके से न पैर और न ही हाथ धो पाया... मुझे ऐसा महसूस होने लगा की मैं भी कोशी नाडी के एक धार से घिर चुका हूँ। हलाँकि में दिल्ली में रहता हूँ। बाढ़ में कभी जान फंसा नही फिर भी एक अनुभव है बरसात में नदी पार करने की, जब भी याद करता हूँ तो माँ का वो चेहरा याद आने लगता है... चहरे पर आदेश उल्लंघन करने का गुस्सा, आंखों में एक अजब सा भय।

यह तो शुन्य मात्र भय है आज के बिहार की स्थिति के सामने। कोशी जिस तरह से मटियामेट करने पर तुली है, उसे रोक पाने की कोशिश किसी एक आदमी के हाथ में नही है। इसे दो देशों के आपसी समझ से ही कम किया जा सकता है। तत्काल तो हर किसी को सकारात्मक सोचते हुए कैसे भी किसी भी रूप में जितना भी हो सके अपने अपने स्तर पर बिहारियों की मदद करनी चाहिए, चाहे वो बिहार के हों या ना हों...

कुछ लोग हैं जो इस संकट की घरी में लाभ और ब्लैक मेल कर रहे हैं, कुछ उत्पाती कहाँ नहीं होते। हम कुछ उत्पाती के नाम पर लाखों लोगों को बदनाम नहीं कर सकते। जरूरत है बिहार को मदद की... पूरा देश बिहार का कर्जदार होगा अगर बिहार का योगदान देश के विकास में गिनाया जाएगा...

आइये राष्ट्रीय आपदा की इस संकट की घरी में हर तरह के मतभेद को भुलाते हुए मदद के लिए हाथ मिलाये...

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